हिंदी मेरा अभिमान
- डॉ उमा मेहरा
- Sep 14, 2021
- 1 min read
Updated: Aug 5, 2022
हिंदी मेरा अभिमान.. हिंदी मेरी पहचान .. .
हिंदी भाषा नहीं, एक संस्कृति है,
भावनाओ की सुन्दर अभिव्यक्ति है..
स्वप्नों का आकार हिंदी, हृदय का प्रतिकार हिंदी..
मुझ में हिंदी, तुझ में हिंदी.. भारत के रग रग में हिंदी..

हिंदी कहती हूँ. हिंदी सुनती हूँ..
हिंदी में डूबती.. हिंदी में तर जाती हूँ..
हिंदी से ही हर पल खुद को संवारती हूँ...
जो किसी से नहीं कहती हिंदी से कह जाती हूँ.
हिंदी को कभी ओढ़ा मैने.. हिंदी को कभी पहना है..
हिंदी से सुन्दर कहाँ भाषा का कोई गहना है...
हिंदी....तू मेरा जीवन.. तू जीवन की पतवार है..
जब भी डोली ये नैया.. तूने दिखाई राह है..
कभी आँसू बनी कभी मुस्कान बनी..
तू मेरे जीने का ज़रूरी सामान बनी..
तुझमें डूब कर भी कहाँ डूब पाई हूँ मैं ..
अथाह तेरी गहराई.. मेरी हथेली में एक कतरा है..
तेरी साधिका बन जाऊँ मीरा सी, बस यही अभिलाषा है!! उमा!!
डॉ उमा मेहरा || हिंदगी से
Do you want to publish article?
Contact us -
nationenlighten@gmail.com | nenlighten@gmail.com
Comments